Pakistan FATF Grey List: आतंकी फंडिंग व मनी लान्ड्रिंग मामलों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)की पेरिस में 18 से 21 अक्टूबर तक बैठक होनी है. माना जा रहा है कि इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने को लेकर अंतिम फैसला होगा. एफएटीएफ के मौजूदा अध्यक्ष सिंगापुर के टी. राजा कुमार 20-21 अक्टूबर को इस बैठक में शामिल होंगे.
पेरिस में आयोजित इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, इंटरपोल और एग्मोंट ग्रुप ऑफ फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट्स, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित ग्लोबल नेटवर्क और पर्यवेक्षक संगठनों के 206 सदस्यों के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल होंगे. इसके अलावा बैठक में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के खतरे को पहचानने पर भी चर्चा की जाएगी.
जून में एफएटीएफ की बैठक में यह हुआ था तय
FATF ने जर्मनी के बर्लिन में जून में हुए अधिवेशन में पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाने का फैसला किया था. सूत्रों का कहना है कि एफएटीएफ अक्टूबर में पूर्ण सत्र के दौरान इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकता है. एफएटीएफ ने उस समय कहा था कि पाकिस्तान ने शर्तों में को पूरा किया है. हालांकि अंतिम फैसला लेने से पहले ऑनसाइट विजिट करना होगा. ऑनसाइट विजिट का मतलब होता है कि एफएटीएफ पाकिस्तान के काम से संतुष्ट है. यह विजिट FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के अंतिम चरण होता है. FATF ने पाकिस्तान की दोनों कार्य योजनाओं (2018 और 2021) के पूरा होने की बात स्वीकार की.
बिलावल की पहल से शुरू हुई थी प्रक्रिया
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन की मई में संयुक्त राष्ट्र में बिलावल से मुलाकात के बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई थी. उसके बाद अधिकांश पश्चिमी देशों और चीन ने कार्यकारी समूह के सदस्यों के रूप में एक आपात बैठक में पाक को मंजूरी दे दी थी.
तो भारत के लिए अच्छी खबर नहीं होगी
अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किए जाने का फैसला हो जाता है तो भारत के लिए के अच्छी खबर नहीं होगी क्योंकि पाक एजेंसियां पहले से ही छोटे हथियारों और आईईडी को बड़े पैमाने पर कश्मीर भेज रही हैं. इन बढ़ते खतरों को लेकर भारतीय एजेंसियों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया है और जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.
क्या होता है FATF?
FATF एक ऐसा निकाय है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करता है. यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराध को रोकने की कोशिश करता है, जो कि आतंकवाद को बढ़ाने के लिए किए जाते हैं.
पाकिस्तान पर क्यों लगा था बैन?
पाकिस्तान पर आरोप लगे थे कि वहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का काम हो रहा है. इसके बाद उसे 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था. उसे अक्टूबर 2019 तक कार्ययोजना पर अमल करने का वक्त दिया गया था लेकिन वह एफएटीएफ के आदेशों का पालन नहीं कर पाया था, जिसके बाद से अब इस सूची में बना हुआ है.
वित्तीय सहायता मिलना बंद हो जाती है
ग्रे लिस्ट में जिस देश को डाला जाता है, उसकी निगरानी बढ़ जाती है. इसे increased monitoring list भी कहते हैं. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने से उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो गया है.
वैसे FATF की ग्रे लिस्ट में ब्लैक लिस्ट जैसी पाबंदियां नहीं लगती हैं लेकिन इससे बाकी देश सतर्क हो जाते हैं. वैश्विक वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली भी समझ जाती है कि यहां काम खतरे से खाली नहीं है.
अब 22 देश होंगे ग्रे लिस्ट में
मार्च 2022 तक कुल 23 देश ग्रे लिस्ट में थे. इसमें पाकिस्तान के साथ-साथ सीरिया, तुर्की, म्यांमार, फिलिपींस, साउथ सुडान, युगांडा और यमन आदि शामिल हैं लेकिन अब इस लिस्ट से पाकिस्तान का नाम हट जाएगा.