साउथ VS बॉलीवुड पर रकुल प्रीत सिंह ने कहा ‘टिकट के दाम हैं असली वजह, पैसे बचा रहे लोग’ – rakul preet singh blames ticket prices for films not working well people saving india today conclave 2022 tmovs


बॉलीवुड में पॉपुलर होने से पहले रकुल प्रीत सिंह ने साउथ की तेलुगू, तमिल और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है. 2022 में रकुल ने अक्षय कुमार के साथ ‘कठपुतली’, अजय देवगन के साथ ‘रनवे 34’ और आयुष्मान खुराना के साथ ‘डॉक्टर जी’ जैसी फिल्मों में काम किया है. हालांकि, इनमें से कई फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर पाईं. 

चर्चा गर्म है कि पिछले कुछ समय से साउथ की फिल्में जबरदस्त बिजनेस कर रही हैं, लेकिन बॉलीवुड अपने फॉर्म में नहीं है और बॉक्स ऑफिस पर लगातार स्ट्रगल कर रहा है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2022 में पहुंचीं रकुल ने कहा कि एक इंडस्ट्री की फिल्मों का चलना और दूसरी इंडस्ट्री का न चलना कोई असल चर्चा नहीं है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बॉलीवुड फिल्में ही नाकाम हो रही हैं, बल्कि दुनिया भर में ऐसा हो रहा है.

साउथ में भी फ्लॉप हो रहीं फिल्में

इसकी वजह बताते हुए रकुल ने कहा, ‘महामारी के बाद लोगों का टेस्ट बदला है. लोगों को घर पर कंटेंट देखने की आदत पड़ गई है. लोगों के खर्च करने की कैपेसिटी पर फर्क पड़ा है.’ उन्होंने आगे कहा कि 70 और 80 के दशक में बहुत सारे एक्टर्स ने साउथ और हिंदी फिल्मों में बड़ी कामयाबी के साथ काम किया है, चाहे श्री देवी हों या तब्बू हों. सोशल मीडिया की वजह से हमारे पास आज इस बारे में चर्चा करने की एक जगह है. इसलिए ज्यादा बात हो रही है.

रकुल ने कहा, ‘जो चीज नहीं चल रही होती उसे खत्म बता देना हम सभी को बहुत पसंद होता है. लेकिन हम सिर्फ उन्हीं 3-4 फिल्मों की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अच्छा बिजनेस किया है. वरना साउथ में भी कई फिल्में नहीं चली हैं.’ 

टिकट के दाम हैं फिल्म बिजनेस हल्का होने का कारण 

तो फिर क्या वजह है कि बॉलीवुड की फिल्में नहीं चल रहीं? इस बारे में बात करते हुए रकुल ने कहा, ‘महामारी के बाद लोगों का टेस्ट बदला है. लोगों को घर पर कंटेंट देखने की आदत पड़ गई है. और उनके खर्च करने की कैपेसिटी पर भी फर्क पड़ा है. सारा सवाल प्रायोरिटी का है.’ उन्होंने आगे कहा कि साउथ में लार्जर दैन लाइफ सिनेमा बनता है और शायद लोग पैसे खर्च कर के अब उस तरह का ही सिनेमा देखना चाहते हैं.

रकुल ने कहा, ‘नेशनल सिनेमा डे पर जब टिकटों के दाम कम हुए, तो वही फ़िल्में जो पहले कम चल रही थीं, लोगों ने उन्हें भी खूब देखा. साउथ में टिकट के रेट पर एक कैप होता है. तो हमें बहुत सारी दूसरी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है.’ इस दमदार आर्गुमेंट के साथ रकुल ने ये भी कहा कि जनता नापसंद कर रही है ऐसा नहीं है. वरना ओटीटी पर फिल्मों को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिलता.

फर्क सिर्फ इतना है कि लोग अब ये सोच रहे हैं कि वो किस तरह की फिल्म पर पैसे खर्च करना कहते हैं और महामारी से गुजरने के बाद शायद वो भविष्य के लिए पैसे बचाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

 



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