Delhi MCD Election 2022: भाजपा-AAP और कांग्रेस… किसकी क्या ताकत और क्या कमजोरी, जानें किसमें कितना दम? – Delhi MCD Election 2022 ground position of bjp congress and aap ntc


दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की तारीख तय होने के बाद ही राजनीतिक दलों की धड़कनें और तैयारियां बढ़ गई हैं. 4 दिसंबर को निगम की 250 सीटों के लिए चुनाव होना है. तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के दफ्तरों में हलचल तेज हो गई है. नेता और कार्यकर्ता टिकट की दावेदारी के लिए पार्टी दफ्तर की चक्कर काट रहे हैं.

पंजाब के विधानसभा चुनाव के बाद ही आम आदमी पार्टी ने MCD चुनाव को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया था. AAP भाजपा और केंद्र सरकार पर चुनाव कराने की मंशा को लेकर भी सवाल खड़े करती रही. इनमें सबसे बड़ा मुद्दा कूड़ा और कूड़े के पहाड़ का है. दिल्ली के मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों और नेताओं ने निगम चुनाव के लिए कूड़े के मुद्दे को हथियार बना लिया है.

क्या है AAP की ताकत

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल का चेहरा सबसे बड़ी ताकत है. इसके अलावा अलग-अलग वार्डों में पार्टी के संगठन ने तेजी से विस्तार किया है, जो निगम चुनाव में फायदेमंद साबित हो सकता है. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता काफी वोकल हैं और निगम चुनाव को देखते हुए गली मोहल्ले में जाकर सड़क और सफाई जैसे मुद्दे तेजी से उठा रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी AAP कार्यकर्ता काफी एक्टिव हैं.

पार्टी की क्या है कमजोरी?

दिल्ली में लगातार भाजपा के AAP पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर घेरने की वजह से आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान झेलना पड़ सकता है. यमुना नदी की सफाई, बसों की कमी, गंदे पानी की समस्या और प्रदूषण के मुद्दे पर किए गए AAP सरकार के वादों को BJP निशाना बना रही है, जिसने AAP की चिंता बढ़ा दी है. वहीं, गुजरात और हिमाचल चुनाव में AAP के दिग्गज नेताओं का प्रचार करना भी निगम चुनाव में AAP की चुनावी रणनीति को कमजोर कर सकता है.

कैसे मिल सकता है फायदा?

दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 साल से BJP का शासन है. इसके बाद भी आम लोगों के बीच सड़क, नाली और साफ-सफाई की समस्या बनी हुई है. आम आदमी पार्टी के लिए ये मुद्दा सबसे बड़ा मौका हो सकता है. दिल्ली के इलाकों में कूड़े का मैनेजमेंट और MCD दफ्तर में तरह-तरह के लाइसेंस बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटना भी एक बड़ी समस्या है. आम लोगों के बीच बदलाव और बेहतर सुविधा की उम्मीद AAP को फायदा पहुंचा सकती है.  

क्या है खतरा?

दिल्ली की सत्ता में पिछले 7 साल से काबिज होने के बावजूद आम लोगों के बीच AAP का वोट मांगने के लिए जाना चुनौतीपूर्ण होगा. पिछले नगर निगम चुनाव में BJP का नए उम्मीदवारों को टिकट देने वाला पेंतरा आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल बना गया था, और इस बार भी BJP का नए चेहरों को टिकट देने का फैसला AAP को नुकसान पहुंचा सकता है.

BJP: क्या टिकट बंटवारे में परिवारवाद पर लगेगी लगाम?

लगातार तीन बार से जीत रही BJP के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती anti-incumbency है. इससे भी बड़ी चुनौती बीजेपी के सामने ब्रांड अरविंद केजरीवाल जैसे बड़े नेता से निपटना होगा. जिसकी एक्सेप्टेबिलिटी दिल्ली में बहुत ज्यादा है. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बार टिकट वितरण में परिवारवाद पर लगाम लगेगी. वर्तमान काउंसलर लड़ेंगे या नहीं अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है. उनके टिकट पर भी तलवार लटक रही है. खबर ये भी है कि दिल्ली बीजेपी के करीब 2 दर्जन पदाधिकारी भी अपने परिजनों को चुनाव लड़ाने की जुगत में हैं. अब ये शीर्ष नेतृव को तय करना है कि किसे चुनाव लड़वाएंगे.

क्या है BJP की ताकत?

> बड़ी इलेक्शन मशीनरी और बड़ा संगठनात्मक कौशल.

हर बूथ पर पंचपरमेश्वर.

चुनाव के समय आरएसएस का हर बूथ पर लगना.

ब्रांड मोदी.

कथित शराब घोटाला, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर जांच एजेंसी का शिकंजा.

आम आदमी पार्टी स्टाइल में ताबड़तोड़ प्रचार.

पार्टी की क्या है कमजोरी?

अल्पसंख्यक समाज में विश्वास नहीं जगा पाना. सभी वर्गों में सर्वस्वीकार्यता की कमी. 15 सालों की एंटी इनकंबेंसी और सीएम केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी का कमजोर नेतृत्व पार्टी की कमजोरी साबित हो सकती है.

कैसे मिल सकता है फायदा?

कोरोनाकाल में कूड़े का डोर-टू डोर कलेक्शन होना, विपक्ष का नदारद रहना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में राशन बांटा जाना, 15 साल में किए गए कामों का ब्योरा बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

क्या है खतरा?

वह वर्ग जो फ्रीबी का लाभ उठाता है और कैजरीवाल का वोट बैंक है. 15 सालों में निगम में भ्रष्ट छवि से ना उबर पाना. एकीकरण के बाद अधिकारियों के शासन में आम लोगों के काम ना होने से नाराजगी. डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मियों की सैलरी पर संकट आना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

शीला दीक्षित के पुराने कार्यकाल को भुनाएगी कांग्रेस

दिल्ली के MCD चुनाव में इस बार कांग्रेस भी दमखम के साथ उतरने की तैयारी कर रही है. 2007 के बाद से निगम में कभी भी अपना दबदबा ना बना पाई कांग्रेस इस बार शीला दीक्षित के 15 साल के कामकाज को लेकर दिल्ली की जनता के बीच जाने वाली है. इस बार कांग्रेस का स्लोगन है. ‘मेरी चमकती दिल्ली’, मेरी कांग्रेस वाली’ दिल्ली, शीला दीक्षित वाली दिल्ली. कांग्रेस का दावा है कि इस बार 250 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उनके पास 1000 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं. अब भी कई लोग आवेदन कर रहे हैं.

क्या होगा टिकट का क्राइटेरिया

उदयपुर नव संकल्प शिविर के आधार पर टिकट दिया देने की मांग.

जीत का दम भरने  वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा.

जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को मिलेगा टिकट.

कांग्रेस इस बार ज्यादा युवा चेहरों को अपना उम्मीदवार बनाएगी.

क्या है कांग्रेस की ताकत?

कांग्रेस की ताकत उसके कार्यकर्ता हैं, जो बुरे हालात में भी कांग्रेस के साथ खड़े हैं. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व का बदलना और मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना कांग्रेस के लिए एक बड़ी ताकत है.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर रही है. पिछले दिनों महंगाई पर राहुल गांधी की रैली से कार्यकर्ताओं और खासतौर पर दिल्ली के वर्कर्स में जोश भर दिया. जिन भ्रष्टाचार के आरोपों से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी, आज उस तरह के आरोप आम आदमी पार्टी पर लग रहे हैं.

पार्टी की क्या है कमजोरी?

कांग्रेस के नेताओं का एक ना होना. नेताओं में आपसी गुटबाजी चरम पर होना. अल्पसंख्यक समाज और दलित समाज जो आम आदमी पार्टी के पाले में चला गया है, उसको वापस ना ला पाना, कांग्रेस के लिए बड़ी पेरशानी की वजह बन सकता है.

कैसे मिल सकता है फायदा?

प्रदूषण, शराब, साफ-सफाई, दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण जैसे मुद्दों पर दोनों सरकारों को घेरना कांग्रेस के लिए इस चुनाव में बड़ा अवसर साबित हो सकता है. दिल्ली कांग्रेस मीडिया कम्युनिकेशन इंचार्ज अनिल भारद्वाज की माने तो वो कैंपेन चलाएंगे. BJP-AAP ने हवा, पानी, शहर और समाज सभी को प्रदूषित किया है. उन्होंने कहा कि 2022 का MCD चुनाव… प्रदूषित दिल्ली v/s चमकती दिल्ली! और हमने संवारा था, हम ही संवारेंगे! के संकल्पों के साथ होगा.

क्या है खतरा?

पहले चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता था, लेकिन आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है. आलम यह है कि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी दिल्ली में zero मानती है. बीजेपी का भी कांग्रेस को लेकर यही मानना रहा है. कांग्रेस के लिए खुद को साबित करना ही सबसे बड़ी चुनौती है. इसके अलावा कार्यकर्ताओं का नेताओं के प्रति विश्वास ना होना भी परेशानी पैदा कर सकता है.



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